ITIHAAS NA AMARBINDU

બે ત્રણ દિવસ ના આરામ પછી આજે અમદાવાદ માં વરસાદી માહોલ-- પાટણ , સિધ્ધપુર માં ધોધમાર વરસાદ - બનાસકાંઠા અને અરવલ્લી માં વરસાદ આગામી ૧૪-૧૫ તારીખે ધોધમાર વરસાદ ની આગાહી *  

બુધવાર, 13 ડિસેમ્બર, 2023


 नंदवंश भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण राजवंश था जो गौतम बुद्ध के जन्मस्थल, लुम्बिनी, से जुड़ा हुआ है। इस वंश का समय शासन 5वीं से 6वीं सदी ईसा पूर्व तक था। 

महापद्मनंद, जिन्हें महापद्मनंद नंद भी कहा जाता है, नंद वंश के प्रमुख राजा थे। इनका राजवंश मगध क्षेत्र में स्थित था और इन्हें भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण रूप से याद किया जाता है। महापद्मनंद का काल समयानुसार लगभग ५०० ईसा पूर्व से ३०० ईसा पूर्व तक माना जाता है।

महापद्मनंद का इतिहास मुख्यत: पुराणों, जैसे कि मुद्राराक्षस, और धर्मशास्त्रों में मिलता है। इनमें बताया जाता है कि महापद्मनंद ने मगध साम्राज्य की स्थापना की और इसके पहले उसके क्षेत्र का समृद्धि से संबंधित कई कथाएं हैं। उनका यथार्थ इतिहास में स्पष्टता से पता नहीं चलता है, लेकिन उन्हें एक शक्तिशाली और प्रभावशाली राजा माना जाता है।

महापद्मनंद के समय के बारे में और जानकारी कम होने के कारण, इसके संबंध में कई विद्वानों के बीच मतभेद हैं। उनका युग नंद वंश के नींव स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, जो बाद में मौर्य वंश के शासक चंद्रगुप्त मौर्य के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हुआ।

नंद राजवंश का सबसे प्रसिद्ध शासक धननंद था, जिनका अभिनंदन बुद्ध और जैन धर्मों के ग्रंथों में मिलता है। नंदवंश का अस्तित्व भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण है और यह गौतम बुद्ध के धर्म के उदय के साथ जुड़ा है।

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